आज सुबह जब नींद खुली
स्मृति पट पर एक प्यारी सी छवि
दिखी मानो हो कल की बात
निश्छल सुधरी दूध की धुली
प्यारा सा एक नन्हा आदू
आ सिमटा आंचल में मेरे
जाना यह मैंने पहली बार
कैसा होता मातृत्व का भार
हम सब के जीवन में आदु
कई रंग बिखेरे हैं तुमने
स्वच्छ, निर्मल,हंसमुख हरदम
ऐसे ही हो तुम सबको याद
आपने जन्म के तेरह साल
कब पार कर लिए चुटकी में
ऐसा लगता है कल ही तो
चले थे तुम पहली चाल
आशीष बड़ों का सदा रहे
जिस पथ पर भी तुम चलो निकल
अधरों पर सदा बनी रहे
मुस्कुराहट कभी ना हो विकल।
Written by Kali on Adu's 13th birthday.
No comments:
Post a Comment